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Shrimad Bhagwat Geeta : Episode - 1 || गीता की शुरुआत कैसे हुई?”

महाभारत युद्ध की पृष्ठभूमि कैसे बनी? कैसे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को shrimad bhagwat geeta का उपदेश दिया? जानिए राजसूय यज्ञ से लेकर रणभूमि तक
Shrimad Bhagwat Geeta

🕉️ ॐ श्री परमात्मने नमः Shrimad Bhagwat Geeta

जिन भगवान् श्रीकृष्णके अंग में सम्पूर्ण सृष्टि का सौन्दर्य ओत-प्रोत है, जिनकी लीला का श्रवण करनेसे दुर्जय मन भी शीघ्र ही भगवान् में ठहर जाता है, जिनका एक नाम लेने मात्रसे पापमें आसक्त जीव भी भय से मुक्त हो जाता है और जिन्होंने अर्जुन को बछड़ा बनाकर कृपापूर्वक Shrimad Bhagwat Geeta गीतारूपी दूध को दुहा, उन्हें हम प्रणाम करते हैं।'

📚 श्रीमद्भगवद्गीता Shrimad Bhagwat Geeta : एक अद्वितीय ग्रन्थ

श्रीमद्भगवद्गीता Shrimad Bhagwat Geeta विश्व का अद्वितीय ग्रन्थ है। इस पर अब तक न जाने कितनी व्याख्या लिखी जा चुकी हैं, लिखी जा रही हैं और भविष्य में लिखी जायँगी, पर इसके गूढ़ भावों का अन्त न आया है, न आयेगा। कारण यह है कि यह भगवान् के मुख से निकली हुई दिव्य वाणी (परम वचन) है। इस दिव्य वाणी पर जो कुछ भी कहता या लिखता है, वह वास्तव में अपनी बुद्धि का ही परिचय देता है। गीता के भावों को कोई भी मनुष्य अपने इन्द्रियो-मन-बुद्धि से नहीं पकड़ सकता,क्योंकि ये साक्षात् भगवान श्रीकृष्ण के श्रीमुख से निकले हुए परम वचन हैं। इसे समझने के लिए सिर्फ बुद्धि पर्याप्त नहीं, बल्कि भगवान के प्रति पूर्ण शरणाગति आवश्यक है। जो अपने-आपको भगवान् के चरणों में समर्पित कर देता है, उनके शरणागत हो जाता है, उस पर गीता-ज्ञान का प्रवाह स्वतः आ जाता है। इसलिए गीता को समझने के लिये शरणागत होना आवश्यक है। अर्जुन भी जब भगवान् के शरणागत हुए, तभी भगवान् के मुख से गीता का प्राकट्य हुआ, जिससे अर्जुन का मोह नष्ट हुआ और उन्हें ज्ञान की प्राप्त हुई

एपिसोड 1: राजसूय यज्ञ से रणभूमि तक का सफर : Shrimad Bhagwat Geeta

आइए अब जानते हैं कि महाभारत युद्ध की पृष्ठभूमि कैसे बनी? कैसे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को shrimad bhagwat geeta का उपदेश दिया? लेकिन इसको जानने से पहले,आइए उस घटना के बारे में जान लेते हैं जिसने महाभारत युद्ध को जन्म दिया,हुआ ये था कि पांडवों के राजसूय यज्ञ में उनका ऐश्वर्य देखकर दुर्योधन के मन में ईर्ष्या की ऐसी आग भड़की कि उसने शकुनि की सलाह पर युधिष्ठिर को जुए के लिए बुलाया। और छलसे उनको हराकर उनका सर्वस्व हर लिया। इस छल में युधिष्ठिर ने अपना सब कुछ गंवा दिया, यहां तक कि द्रौपदी को भी।

इसके बाद यह निर्णय हुआ कि युधिष्ठिर और उनके भाई द्रौपदी सहित बारह साल वन में रहेंगे और एक साल गुप्त रूप से बिताएंगे। तेरह साल बाद, अगर उनका अज्ञातवास सफल रहा, तो उन्हें उनका राज्य लौटा दिया जाएगा। पांडवों ने इस शर्त का पालन किया, लेकिन तेरह साल बाद, जब वे अपना आधा राज्य मांगने दुर्योधन के पास आए, तो दुर्योधन ने सुई की नोक के बराबर भी ज़मीन देने से मना कर दिया।

दुर्योधन के इस हठ के कारण, माता कुंती के आदेश पर, पांडवों ने युद्ध का निश्चय किया। इस प्रकार, महाभारत युद्ध की नींव पड़ी, और दोनों ओर से तैयारियां ज़ोरों पर शुरू हो गईं।

Shrimad Bhagwat Geeta

🔮 अब आगे क्या होगा?

आगे क्या हुआ जानने के लिए पढ़ते रहिए — Shrimad Bhagwat Geeta कथा सीरीज का अगला एपिसोड,जिसका लिंक आपको नीचे जल्द ही मिल जाएगा,तब तक के लिए आप सभी को राधे राधे

⚠️ Disclaimer:Shrimad Bhagwat Geeta

यह लेख धार्मिक और आध्यात्मिक ज्ञान के प्रचार हेतु लिखा गया है। इसमें प्रयुक्त नाम, स्थान, प्रसंग आदि सभी हिन्दू धर्मग्रंथों पर आधारित हैं। किसी भावना को ठेस पहुँचाना उद्देश्य नहीं है।

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